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वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की प्रथम महिला कुलपति डॉ. निर्मला एस मौर्या को किया गया सम्मानित



वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर की नवागत कुलपति डॉ. निर्मला एसo मौर्या है। निर्मला एस0 मौर्या मैम ने इस विश्वविद्यालय में कुलपति का पदभार ग्रहण करके एक इतिहास रचा है कि वह इस विश्वविद्यालय की प्रथम महिला कुलपति हैं। कुलपति का पदभार ग्रहण करने के बाद, 2 अक्टूबर 2020 को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 13 लोगों में से एक नाम आपका भी है जो पुरस्कार के लिए नामित किया गया। इन दोनों अवसर के उपलक्ष्य में अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'अखिल गीत शोध दृष्टि' की संपादक, आलोचक, 'शिक्षक श्री' एसो0 प्रो0 डॉ. गीता सिंह मैम एवं 'अखिल गीत शोध दृष्टि' के प्रधान संपादक, कथाकार एवं 'अनकही' कहानी के लेखक डॉ. अखिलेश चन्द्र सर ने एक स्वागत एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया। यह कार्यक्रम डॉ अखिलेश चन्द्र सर के कुशल संचालन में प्रारम्भ हुआ। सम्मान में कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य जी को अंगवस्त्रम,स्मृति चिन्ह, अखिल गीत शोध दृष्टि' (अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल की प्रति और विभिन्न पुस्तकें भेंट की गयी। इस अवसर पर डॉ0 गीता सिंह "शिक्षक श्री'एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग डी.ए-वी.पी.जी. कॉलेज, आजमगढ़ ने कहा -"कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य जी शैक्षिक जगत में पूर्वांचल की गौरव हैं।" आपने अब तक कुल 89 विद्यार्थियों को एम.फिल, 90 को पीएच.डी. एवं 06 को डी.लिट. कराकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। आपके 165 शोध-पत्र विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी 08 महत्वपूर्ण पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी है। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर परशुराम पाल जी ने कहा- प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य जी प्रशासनिक दक्षता की गुणी हैं। इन्होंने दक्षिण चेन्नई में इससे अपना परिचय दे दिया है और यहां भी अपने कार्य से विश्वविद्यालय को आगे ले चल रहीं हैं।


 

    इस सम्मान समारोह में मुझे भी शरीक होने का अवसर प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मैं दिनेश कुमार 'दिव्यांश' (असिस्टेंट प्रोफेसर) ए0एन0डी0 किसान पी0 जी0 कॉलेज, बभनान-गोण्डा सम्बध्द डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या की तरफ से और शोधार्थी-डी00वी0पी0जी0 कॉलेज, आज़मगढ़ सम्बद्ध वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर परिवार की तरफ से आपका हार्दिक बधाई एवं अभिनन्दन करता हूँ।



व्यक्ति अपने व्यक्तित्व से पहचाना जाता है। कुलपति मैम का व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों अपने आपमें महान है। आप एक अच्छी कवि और लेखिका भी हैं और इससे भी सुनहरा आपका व्यक्तिगत व्यवहार है। आपके व्यक्तिव के बारे में हमारी गुरुमाता डॉ0 गीता सिंह मैम एक या दो साल पहले दो-चार बार किसी बात पर आपकी चर्चा की थीं। उस वक्त मैंने आपके बारे में जानने के लिए बहुत रुचि नहीं ली लेकिन कल जब आपने ये बताया कि डॉ. गीता सिंह से मेरा 15 साल का रिश्ता है तभी मुझे तुरंत याद आया कि यही मैम चेन्नई वाली हैं। आपके व्यक्तित्व के बारे में मैं जो जान पाया हूँ वह बहुत ही सरल और सहज है। मैं आपको पहले नहीं जानता था। मुझे नहीं पता था कि COVID19 को COVID19 क्यों कहा जाता है। 5, 6,या 7 मई को ( कोई एक तिथि थी जो मुझे निश्चित याद नहीं है) हो रहे वेबिनार में आपको पहली बार सुना। और उसी वेबिनार में आपके माध्यम से पता चला कि covid19 को covid19 क्यों कहा जाता है। जब आप 17 अगस्त 2020 को कुलपति पद पर विराजमान हुई तब सिर्फ आपका नाम सुना। दो दिन बाद डॉ. अखिलेश चन्द्र सर के फेसबुक की पोस्ट के माध्यम से आपका चेहरा देखा तो मुझे उस वेबिनार में बोल रही एक सहज और सरल व्यक्तित्व वाली महिला दिखी। आपसे मिलकर मुझे बहुत खुशी मिली। इसके लिए डॉ. अखिलेश चन्द्र सर और डॉ. गीता सिंह मैम का बहुत बहुत आभार जो मुझे आपसे मिलने का अवसर प्राप्त कराएं और साथ में आपको बुकें के साथ-साथ अपनी संपादित पुस्तक 'वर्तमान परिदृश्य और हाशिये का समाज' भेंट करने का सुनहरा अवसर मिला। अपनी इस पुस्तक को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, जे एन यू के प्रोफेसर, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, कई प्रसिद्ध लेखक, कई रिसर्च स्कॉलर इत्यादि कई प्रसिद्ध लोगों को भेंट किया लेकिन किसी ने भी उत्साह नहीं दिया कि बेटा मैं इस पुस्तक की समीक्षा लिखूंगा। मैंने कभी भी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि मैं अपनी पुस्तक एक कुलपति तक पहुंचा पाऊँगा। लेकिन शुक्रगुजार हूं डॉ. अखिलेश चन्द्र सर और अपनी गुरुमाता डॉ. गीता सिंह मैम का जिनके सौजन्य से पुस्तक आप तक पहुंची। इस पुस्तक की सराहना करते हुए आपने कहा "यह एक महत्वपूर्ण विषय पर काम हुआ है, हाशिये के समाज के अंतर्गत कौन-कौन आते हैं इसको बताते हुए महिलाओं पर आपने कुछ समय अपना वक्तव्य दिया। उसके बाद आपने कहा कि "मैं इस पुस्तक की समीक्षा लिखूंगी।" यह शब्द सुनकर मैं चकित हो गया कि आप इतनी व्यस्त रहती हैं आप समय कैसे निकाल पायेंगी? फिर भी इस शब्द ने मुझे बहुत ही आनन्दित किया। 


मैं जानता हूँ आपकी व्यस्तता ज्यादा है आप कैसे लिखेंगी लेकिन मेरे मन में ये आस बनी हुई है कि आप जरूर लिखेंगी। मेरे लिए और खुशी की बात हुई कि डॉ. गीता सिंह मैम ने उस समीक्षा को अपनी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका
'अखिल गीत शोध दृष्टि' में छापने की बात कही। यह दोनों वाक्य मेरे लिए गौरव का विषय बना, ठीक उसी तरह, जिस तरह, एक तुच्छ प्राणी के लिए थोड़ा सा सम्मान बहुत ही गौरवशाली बना देता है। आप दोनों (डॉ गीता सिंह मैम और डॉ निर्मला एस मौर्या मैम) के प्यार में मातृत्व का भाव नज़र आता है। हम सभी जानते हैं कि जिस व्यक्तित्व में मातृत्व व पित्र का भाव होता है वह विद्यार्थियों का ही नहीं बल्कि महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों को अपना घर समझकर उसे स्वर्ग बना देता है। आप विश्वविद्यालय में आते ही विश्वविद्यालय के प्रति अपनी मातृत्व भाव दिखा दीं। विश्वविद्यालय में पदार्पण करते ही दो पाठ्यक्रमों को जुड़वा देना यह पूर्वांचल परिवार के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। आप जैसी कर्मठ और ईमानदार शिक्षक की देश को सबसे अधिक जरूरत है। मैम आपसे मिलकर मुझे बहुत ही खुशी मिली। आपसे मिलवाने के लिए डॉ. गीता सिंह मैम और डॉ. अखिलेश चन्द्र सर का बहुत-बहुत आभार।  मैम आपको पुनः कुलपति बनने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार पाने के लिए बहुत-बहुत हार्दिक बधाई।

दिनेश कुमार 'दिव्यांश'

(असिस्टेंट प्रोफेसर)

0एन0डी0 किसान पी0 जी0 कॉलेज,

बभनान-गोण्डा

मो0 नं.-9670526337




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