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मेरा किसी भी प्रकार की राजनीती में विश्वास नहीं है: स्वामी विवेकानंद





Swami Vivekanad

जब तक जीना, तब तक सीखना- अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।     

मेरा किसी भी प्रकार की राजनीति में विश्वास नहीं है। ईश्वर तथा सत्य ही जगत में एकमात्र राजनीति हैं, बाकी सब कूड़ा-करकट है।                                                           

सत्य ही मेरा ईश्वर है और समग्र विश्व मेरा देश है।

जो मनुष्य जाति की सहायता करना चाहते हैं उन्हें चाहिए कि वह अपना सुख-दुख नाम-यश और अन्य सभी तरह के स्वार्थों की एक पोटली बनाकर समुद्र में फेंक दें और तब वे ईश्वर के पास आएं। सब आचार्यों ने यही कहा और किया है।


'संसार में पाप नहीं है' - इस संदेश के प्रचारक के रुप में संसार के हर भाग में मेरी आलोचना की गई है कि मैं घोर पैशाचिक सिद्धांत फैला रहा हूं। बहुत अच्छा, परंतु अभी जो लोग मुझको बुरा भला कह रहे हैं, उन्हीं के वंशज मुझे अधर्म का नहीं, अपितु धर्म का प्रचारक कहकर आशीर्वाद देंगे।

मैंने दुनिया में घूम कर देखा है कि भारत की तरह इतने अधिक तामस स्वभाव के लोग दुनिया भर में अन्यत्र कहीं भी नहीं हैं - बाहर सात्विकता का ढोंग, पर अंदर बिल्कुल ही ईंट-पत्थर की तरह जड़ - इनसे जगत का क्या काम होगा? देह में शक्ति नहीं, हृदय में उत्साह नहीं, मस्तिष्क में प्रतिभा नहीं। क्या होगा इन जड़ पिंडों से?


हम भारतवासियों को पृथ्वी की किसी भी अन्य देश से अधिक शक्तिदायी विचारों की जरूरत है। इस देश में पौरुष जगाने के लिए विचारों की ताजगी और जीवंतता जरुरी है।

ज्ञानमार्ग अच्छा है, पर उसके शुष्क वाद-विवाद में परिणत हो जाने की आशंका रहती है। भक्ति बड़ी उच्च वस्तु है,  पर उससे निरर्थक भावुकता पैदा होने के कारण असली चीज ही नष्ट हो जाने की संभावना रहती है। हमें इन सभी के समन्वय की जरूरत है।


जब मैंने अपने जीवन में कोई भूल की है, तो पाया कि गणना में मेरा अपना 'स्व' भी सम्मिलित हो गया था; जहां कहीं मेरे 'स्व' ने हस्तक्षेप नहीं किया था, वहां मेरा निर्णय उचित सिद्ध हुआ।



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