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राधा यादव ने रामायण में कौन-सा रोल किया था?







पौराणिक ग्रन्थों में पंचकन्याओं के बारे में कहा गया है-
अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा, मन्दोदरी तथा।
पंचकन्या स्मरणित्यं महापातक नाशक॥
अर्थ : अहिल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा तथा मन्दोदरी, इन पाँच कन्याओं का प्रतिदिन स्मरण करने से सारे पाप धुल जाते हैं.
रामायण एक पौराणिक महाकाव्य है.
रामायण में वानरराज वालि की पत्नी तारा थी.
तारा को मुख्य भूमिका में वाल्मीकि रामायण में केवल तीन ही जगह दर्शाया गया है.
 1. सुग्रीव-वालि के द्वितीय द्वंद्व से पहले तारा की वालि को चेतावनी.
 2. वालि के वध के पश्चात् तारा का विलाप.
3. सुग्रीव की पत्नी बनने के पश्चात् क्रोधित लक्ष्मण को शान्त करना.
कुछ ग्रन्थों के अनुसार वह देवताओं के गुरु बृहस्पति की पौत्री थी। एक कथा के अनुसार समुद्र मन्थन के दौरान चौदह मणियों में से कई अप्सराएँ थीं. उन्हीं अप्सराओं में से एक तारा थी. वालि और सुषेण दोनों मन्थन में देवतागण की मदद कर रहे थे. जब उन्होंने तारा को देखा तो दोनों में उसे पत्नी बनाने की होड़ लगी. वालि तारा के दाहिनी तरफ़ तथा सुषेण उसके बायीं तरफ़ खड़े हो गये. तब विष्णु ने फ़ैसला सुनाया कि विवाह के समय कन्या के दाहिनी तरफ़ उसका होने वाला पति तथा बायीं तरफ़ कन्यादान करने वाला पिता होता है. अतः वालि तारा का पति तथा सुषेण उसका पिता घोषित किये गये.
जब रमानंद सागर ने 1987 में रामायण पर आधारित टीवी धारावाहिक बनाया, तब उसमें तारा का रोल राधा यादव ने किया था.
उस समय रामायण और महाभारत के टीवी कलाकार इतने मशहूर हो गए कि उन्हें दूसरा काम मिलना मुस्किल हो गया. इसीलिए अधिकार ये कलाकार गुमनाम हो गए. राधा यादव के बारे में भी इंटरनेट पर विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है.

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