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गीत: है तेरी दीवानगी कि उतरती ही नहीं -संदीप यादव



 दीवानगी 

है तेरी दीवानगी कि उतरती ही नहीं।
आखों में जो खिचती है उतरती ही नहीं। 

उतर जाती है शाम भी,
गुजर जाती है रात भी,
चाहतों की प्‍यास कभी घटती ही नही|
है तेरी दीवानगी कि उतरती ही नहीं।

तुम बिन ख़ामोशी-सा सफ़र,
तन्‍हा सुबह, शाम और दोपहर
आंखों से आंखें तेरी हटती ही नहीं|
है तेरी दीवानगी कि उतरती ही नहीं।

कैसे कहू मै ये अनजानी-सी नजर
और उसमे छलकता इश्क का असर
बिन देखे ये जिंदगी संवरती ही नहीं|
है तेरी दीवानगी कि उतरती ही नहीं।

आंखों में लहर, ओठों पे पहर,
तेरे बिन मेरा ना गुजर ना बसर
पहर हर पहर यूं गुजरती ही नहीं।
है तेरी दीवानगी कि उतारती ही नहीं|
 -संदीप यादव 
शोधार्थी, दिल्‍ली विश्‍वविद्यालय







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